आज दुनियाभर में एआई को लेकर नए प्रयोग हो रहे हैं। वहीं इसको लेकर तरह तरह की बहसें भी छिड़ी है। कोई इसे मानवजाति के लिए लाभदायक बता रहा है तो कोई बेहद खतरनाक। अब विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने एआई को लेकर चेतावनी दी है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, मेडिकल एआई को डब्ल्यूएचवो ने गरीब देशों के लोगों के लिए “खतरनाक” बताया है। दरअसल, डब्ल्यूएचवो ने एलएमएम पर एक रिपोर्ट जारी की है। डब्ल्यूएचओ के डिजिटल हेल्थ और इनोवेशन डायरेक्टर के निदेशक एलेन लैब्रिक ने कहा कि विकासशील प्रौद्योगिकी का उपयोग केवल प्रौद्योगिकी कंपनियों और धनी देशों द्वारा नहीं किया जाए। दुनिया भर के देशों के सामाजिक ताने-बाने में काफी असमानताएं है।
बता दें कि संगठन ने 2021 में स्वास्थ्य देखभाल में AI पर अपना पहला दिशानिर्देश जारी किया था। लेकिन तीन साल भी कम समय में संगठन ने LMM की ताकत और उपलब्धता में वृद्धि के कारण इसे अपडेट किया है। डब्ल्यूएचओ ने इन मॉडलों को जेनरेटिव एआई कहा है। डब्ल्यूएचओ का कहना है कि आज कई कंपनियां तेजी से मेडिकल एआई उपकरण का निर्माण कर रही है।
डब्ल्यूएचओ ने इसके सदस्य देशों को सलाह दी है कि तय दिशानिर्देशों का पालन कर आधुनिक मेडिकल फैसिलिटी को मानवता के हित ने बढ़ाए। साथ ही संगठन ने “रेस टू द बॉटम” की चेतावनी दी है। जिसमें कहा कि कंपनियां सबसे पहले एप्लिकेशन जारी करने की कोशिश करती हैं, भले ही वे काम न करें और असुरक्षित हों। विकास का यह मॉडल पतन की और ले जाता है।
डब्ल्यूएचओ के मुख्य वैज्ञानिक जेरेमी फर्रार के मुताबिक, ” जेनरेटिव एआई प्रौद्योगिकियों में स्वास्थ्य देखभाल में सुधार करने की क्षमता है, लेकिन केवल तभी जब इन प्रौद्योगिकियों को विकसित, विनियमित और उपयोग करने वाले संबंधित जोखिमों की पहचाना जाएं।