Sunscreen: मिनरल और केमिकल सनस्क्रीन में कौन-सा बेहतर है? विशेषज्ञ से जानिए

Shyam Dangi

अमेरिका जैसे विकसित देश में स्किन कैंसर सबसे आम है। यह सूर्य से निकलने वाली पराबैंगनी (यूवी) विकिरण के संपर्क में आने से होता है। अमेरिकन एकेडमी ऑफ डर्मेटोलॉजी (एएडी) के मुताबिक, यहाँ रोज़ाना 20 लोग मेलेनोमा स्किन कैंसर जैसी सबसे घातक बीमारी से मरते हैं। स्किन कैंसर से बचाव के लिए ही सनस्क्रीन का उपयोग किया जाता है। सनस्क्रीन मेलेनोमा और अन्य प्रकार के स्किन कैंसर के जोखिम को कम करने में मददगार है। बता दें कि सनस्क्रीन एक जैसे नहीं बल्कि दो मुख्य प्रकार हैं – मिनरल और केमिकल। तो आइये दोनों प्रकार के सनस्क्रीन के फायदे और नुकसान के बारे में जानते हैं।

मिनरल सनस्क्रीन किस तरह काम करते हैं?
सनस्क्रीन में यूवी फिल्टर नामक तत्व पाया जाता है। यह सूरज की हानिकारक किरणों को रोकता है। मिनरल सनस्क्रीन में यूवी फिल्टर जिंक ऑक्साइड, टाइटेनियम डाइऑक्साइड और कभी-कभी आयरन ऑक्साइड के छोटे कणों से निर्मित होते हैं। यह कण यूवी विकिरण को परावर्तित या अपवर्तित करके स्किन को नुकसान से बचाते है।

केमिकल सनस्क्रीन किस तरह काम करते हैं?
वहीं केमिकल सनस्क्रीन यूवी विकिरण को अवशोषित करके इसे गर्मी में परिवर्तित कर देते हैं। केमिकल सनस्क्रीन में आमतौर पर कई एक्टिव तत्व होते हैं, क्योंकि इसका यूवी फिल्टर केवल यूवीए या यूवीबी किरणों को हो रोक पाते हैं।

जानिए कुछ आम सनस्क्रीन के बारे में:
होमोसलेट,ऑक्सीबेनज़ोन, ऑक्टोक्रिलीन, ऑक्टिनॉक्सेट आदि।

दोनों में से कौन सा सनस्क्रीन बेहतर है?
वर्तमान में एफडीए के मुताबिक, जिंक ऑक्साइड और टाइटेनियम डाइऑक्साइड केवल दो यूवी फिल्टर ही सुरक्षित और प्रभावी है। अमेरिकन एकेडमी ऑफ डर्मेटोलॉजी का कहना है कि स्किन कैंसर को रोकने के लिए सनस्क्रीन लगाना महत्वपूर्ण है।

केमिकल सनस्क्रीन:
फायदे:

-इसमें हल्का फॉर्मूला होता है जो मिनरल सनस्क्रीन की तुलना में आसानी से फैलता है।
-यह कोई सफेद कास्ट नहीं छोड़ता है।

नुकसान:
-कुछ लोगों में स्किन में जलन हो सकती है।
-इसको एक्टिव होने में लगभग 30 मिनट का समय लगता है।
-केमिकल सनस्क्रीन में मौजूद कई समुद्री जीवों के लिए हानिकारक हैं।

मिनरल सनस्क्रीन
फायदे:
-मिनरल सनस्क्रीन से स्किन में जलन होने की संभावना कम होती है।
-यह तुरंत एक्टिव हो जाती है।

नुकसान:
-अधिकांश मिनरल सनस्क्रीन सफेद कास्ट छोड़ते हैं।
-कई बार जिंक ऑक्साइड के कुछ कणों के सांस के जरिए अंदर जाने का खतरा रहता है।

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  • Shyam Dangi

    Shyam Dangi is a content writer and editor for over 12 years. He specialises in writing on a variety of topics such as wellness, lifestyle, beauty, technology and fashion. His current focus is on creating factually correct and informative stories for readers.

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