एसिडिटी को अम्लपित्त (Acidity), हाइपरएसिडिटी (Hyperacidity), एसिड डिस्पेप्सिया (heid dyspepsis), गैस्ट्रोक्सिया (Gastroxia) भी कहा जाता है। पाचन क्रिया की विकृति से एसिडिटी यानि अम्लपित्त की उत्पत्ति होती है। एसिडिटी की वजह से कड़वी तथा खट्टी डकारें आती हैं, साथ ही सीने में और गले में तेज़ जलन और मुँह में कसैलापन-सा स्वाद रहता है। इसके अलावा एसिडिटी से उबकाइयाँ आती हैं और जी मिचलाता है। शरीर में भारीपन अत्यधिक अरुचि तथा ग्लानि जैसे लक्षण भी एसिडिटी की वजह से होते हैं। एसिडिटी (Acidity) में अन्न नहीं पचता है। वैसे एसिडिटी (Acidity) कोई भयानक रोग नहीं है, पर इसका परिणाम अवश्य गंभीर हो सकता है। इसके अनेक उपद्रवों से पीड़ित व्यक्ति हमेशा के लिए रोगी बन जाता है। अम्लपित्त (Acidity) के पुराने रोगी अक्सर कैंसर के शिकार होते हैं। एसिडिटी (Acidity) की स्थिति में रोगी के पाचनतंत्र में पित्त की अधिकता (Hyperacidity) पाई जाती है। अत्यधिक पित्त आहार को अत्यंत खट्टा बना देता है और वह लंबे समय तक जठर यानि पेट (stomach) में पड़ा रहता है। इस प्रकार आहार पर खटास लाने वाली क्रिया होती है, जिसके परिणामस्वरूप कई बार भोजन करने के बाद रोगी का मन आकुल-व्याकुल हो जाता है। उसे बार-बार खट्टी डकारें आती हैं, कभी-कभी कड़वी डकारें भी। ऐसा लगता है जैसे अभी उलटी हो जायेगी। बिना कारण उबकाइयाँ आती रहती हैं। गले में हलकी से लेकर तीव्र जलन होती है, कई बार तो उलटी हो जाती है।
अम्लपित्त यानि एसिडिटी (Acidity) केवल शारीरिक रोग नहीं है। एसिडिटी (Acidity) को मनः शारीरिक व्याधि (साइकोसोमेटिक – Psychosomatic) व्याधि भी कहा जा सकता है। मनुष्यों की कुल संख्या के 10% लोग ऐसे हैं, जिनका जठर (stomach) अत्यधिक नमक के तेजाब बनाने का काम करता है, जो बाद में अम्लपित्त के रोग में बदल जाता है।
एसिडिटी (Acidity) क्यों होती है – Causes Of Acidity
एसिडिटी (Acidity) कई करने से हो सकती है, जैसे की –
• विरुद्ध भोजन – विरुद्ध भोजन यानि दो ऐसी चीजें जो एक साथ नहीं खाना चाहिए। जैसे की दूध और मछली को एक साथ नहीं खाना चाहिए, इस तरह के विरुद्ध भोजन को एक साथ खाने से एसिडिटी (Acidity) की समस्या हो सकती है।
• विकृत भोजन – विकृत भोजन यानि ख़राब खाना, वासी तथा संधानयुक्त खाना खाने से भी एसिडिटी (Acidity) हो जाती है ।
• अत्यधिक अम्ल पदार्थों का सेवन करना भी एसिडिटी (Acidity) का एक कारण होता है।
आजकल भोजन में तेज मिर्च-मसाले, तेल, घी, जैसी चिकनाई वाले पदार्थों का अत्यधिक प्रयोग होने लगा है। साथ ही जीवन की आपा- धापी में लोग शांति से बैठकर भोजन का समय भी नहीं निकाल पाते हैं। अम्लपित इसी वजह से रोग की जड़ है।
• पित्त प्रकोपी- शराब (alcohol) का सेवन, अत्यधिक धूम्रपान (Excessive smoking)
या पैकेज्ड फ़ूड यानि डिब्बे आदि में बंद भोजन करने से भी एसिडिटी (Acidity) होती है।
• चाय, कॉफी, कोको, टमाटर का सूप आदि का बहुत गर्म सेवन करना ।
• अत्यंत रुक्ष या अत्यंत स्निग्ध पदार्थों, हलुआ, भजिया, मैसूर पाक आदि का सेवन ।
• अत्यंत अम्ल द्रव- कांजी, खट्टे आसव, जलजीरा, कमरख, करोंदा, बिजौरा आदि का अत्यंत प्रयोग ।
• बहुत अधिक मात्रा में राव, गुड़, खाँड़, चीनी, मिठाइयाँ खाना, कुत्थी का अति प्रयोग, भुने हुए चवैनों और चिरवों का सेवन ।
● ज्यादा भोजन करने के बाद दिन में सो जाना और खाना खाने के बाद नहाने जैसी आदते भी एसिडिटी (Acidity) की समस्या को पैदा करती है ।
• दाँतों की खराबी भी अम्लपित्त यानि एसिडिटी (Acidity) का प्रमुख कारण है।
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एसिडिटी (Acidity) के लक्षण – Acidity Symptoms in Hindi
एसिडिटी (Acidity) की वजह से कई बार पीड़ित व्यक्ति का मन आकुल-व्याकुल हो जाता है। उसे बार-बार खट्टी डकारें आती हैं। साथ ही एसिडिटी (Acidity) के कारण कभी-कभी कड़वी डकारें भी आती हैं। साथ ही बिना कारण उबकाइयाँ आती रहती हैं तथा पित्त के कारण उसके गले और सीने में तेज़ या साधारण जलन होती है।
एसिडिटी (Acidity) कई बार तो उलटी भी हो जाती है। रोगी का सिर भारी हो जाता है और दुखने लगता है। सिरदर्द की गोलियों के सेवन से सिरदर्द कम होने के स्थान पर बढ़ जाता है।
एसिडिटी (Acidity) की वजह से पित्त की वृद्धि से शरीर में जलन होती है, सीना जलने लगता है, आँखों में जलन होती है, माथे पर तपन प्रतीत होती है। हथेलियों और पैरों के तलवों में भी जलन होती है, पेशाब लाल-पीले रंग का होता है, जलन की यह मात्रा रोग की तीव्रता पर आधारित होती है।
एसिडिटी (Acidity) की प्रारंभिक स्थिति में जलन के लक्षण कम दिखायी देते हैं। जब रोग बढ़ जाता है तब जलन के लक्षण अधिक दिखाई देने लगते हैं। कुछ लोग कब्जियत की शिकायत भी करते हैं। रोगी का स्वभाव बदल जाता है। वह हँसमुख होने पर भी चिड़चिड़ा तथा क्रोधी हो जाता है।
एसिडिटी (Acidity) के बढ़ने पर रोगी के शरीर पर छोटी-छोटी फुंसियाँ हो जाती हैं, जिनमें हलकी-हलकी खुजलाहट भी होती है। रोगी के जोड़ों में पीड़ा होती है, सुस्ती महसूस होती है, सदैव बेचैनी बनी रहती है, भूख कम हो जाती है और खाने की इच्छा नहीं होती है।
एसिडिटी (Acidity) से अशक्ति थकान, पैरों में पीड़ा, चक्कर आना, आँखों के आगे अंधेरा छा जाना आदि तकलीफें होने लगती हैं।
यदि एसिडिटी (Acidity) का प्रभाव लंबे समय तक जारी रहे, तो रोगी के शरीर पर गर्मी का प्रभाव मालूम होने लगता है। इससे बाल झड़ने या सफेद होने लगते हैं। यह एसिडिटी (Acidity) का एक स्पष्ट लक्षण है।
यदि एसिडिटी (Acidity) में सावधानी न बरती जाए, तो आगे चलकर पेट में उपदंश (ulcer) हो जाने की संभावना बढ़ जाती है। एसिडिटी (Acidity) के रोगी कभी-कभी अतिसार, पतले दस्त आदि की शिकायत भी करते हैं। रोगी के मल में अपचे, अधपचे, सड़नयुक्त भोजन के अंश रहते हैं। रोगी अक्सर जायका खराब होने की शिकायत करता रहता है। रोगी को प्यास अधिक लगती है तथा जीभ पर सफेद मैल जमा हो जाती है।
अम्लपित्त के रोगी में थकावट, बेचैनी, चिंता, तनाव, जी. मिचलाना, प्यास, दाह, हृदय पीड़ा, शरीर पर चकत्ते आदि लक्षण आम होते हैं।
यदि उलटी के साथ हरे-पीले रंग का पित्त भी निकले तो इसको एसिडिटी (Acidity) का प्रमुख लक्षण समझना चाहिए।
समय के साथ यदि इसका उपचार नहीं किया जाता है, तो यह एक भयंकर छाले का रूप ले सकता है, जिसे उदर का घाव या अल्सर नाम से पहुचाना जाता है। इसमें भयंकर जलन तथा दर्द होता है।
एसिडिटी (Acidity) में मुख्य रूप से ये लक्षण दिखाई देते है। अगर आपको ये लक्षण दिखये दे तो डॉक्टर को जरूर दिखाना चाहिए –
• छाती, पेट और गले में जलन होती है।
• उबकाई तथा खट्टी डकारें आती हैं।
• शरीर में भारीपन रहता है।
• भोजन के प्रति अरुचि हो जाती है ।
• जी मिचलाना ।
• तीव्र स्वरूप के रोग में पित्त ऊपर की ओर बढ़ने लगता है, तब रोगी को उलटियाँ होने लगती हैं। कई बार भोजन के साथ ही उलटी होने लगती है।
एसिडिटी (पेट की जलन) से कैसे बचे – Prevention of Acidity (Pet Ki Jalan)
अम्लपित्त (Acidity) के उपचार में सबसे पहले पित्त को संतुलित करना जरुरी है। इसलिए सबसे पहले अधिक मात्रा में बनने वाले पित्त को ठीक करना जरुरी है।
खाना अच्छे से चबाकर खाये, भोजन में परिवर्तन करें और अगर आपको संक्रमित दाँत, दाँढ़ है तो उसे निकलवा दें। नासिका या गले मार्ग का संक्रमण (Infection of nose and throat) रोकें।
साथ ही शराब या तम्बाकू का सेवन ना करे।
एसिडिटी (Acidity) में पित्त की अम्लता बढ़ती है, अतः इसमें अम्ल द्रव्यों के सेवन से दूर रहना चाहिए। जैसे- टमाटर, चावल जैसी चीजों को भोजन में शामिल नहीं करना चाहिए ।
एसिडिटी (पेट में जलन) के घरेलु उपचार – Home Remedies for Acidity Problem
1. आँवला 10 ग्राम, निशोत 10 ग्राम, सोडा बाई कार्ब 10 ग्राम, धनिया 20 ग्राम, जीरा 20 ग्राम, शर्करा 40 ग्राम, गुलाब पुष्प 40 ग्राम को लेकर पीस ले। इस चूर्ण को हर दिन 1-1 चम्मच सुबह और शाम पानी से ले।
2. छोटी या बड़ी हरड़ का चूर्ण 3 ग्राम और गुड़ 6 ग्राम ले। इन दोनों को मिलाकर दिन में 3 बार खाने से एसिडिटी (Acidity) 3 दिन में ठीक हो जाती है।
3. संतरे के रस में भुना हुआ जीरा व सेंधा नमक मिलाकर पिलाने से भी एसिडिटी (Acidity) जल्द आराम मिलता है।
4. मुनक्का 50 ग्राम, सौंफ 25 ग्राम रात भर पानी में डालकर रख दें। सुबह उसी पानी में मसलकर उसमें मिश्री मिलाकर पीने से अम्ल पित्त यानि एसिडिटी (Acidity) की समस्या जल्दी ठीक हो जाती है।
5. एसिडिटी (Acidity) से राहत पाने के लिए रात में को थोड़ा-सा चूना पानी में डालकर रख दें। सुबह उस पानी को ऊपर-ऊपर छानकर पीने से एसिडिटी (Acidity) की समस्या ठीक होती है।
6. सूखे आँवलों को रात में पानी में भिगोकर रख दें। सुबह उसमें जीरा और 3 ग्राम साँठ मिलाकर बारीक पीसकर दूध में घोलकर पीने से एसिडिटी (Acidity) जल्दी आराम मिलता है।
7. बबूल के गोंद को काँच के बर्तन में भिगोकर सुबह उसे छानकर, उसके अनुपात में मिश्री मिलाकर एक ग्लास शरबत बनाकर पियें। यह शरबत एसिडिटी (Acidity) की बीमारी के लिए गुणकारी है। इस शरबत से जलन एवं दर्द दूर होता है, घाव से खून आना बंद हो जाता है और घाव भर जाता है।