असंतुलित भोजन के सेवन से फूड पॉइजनिंग (Food Poisoning) की समस्या हो सकती है। यह एक संक्रामक बीमारी है जो बैक्टीरिया के कारण होती है। फूड पॉइजनिंग की समस्या के कारण पेट ख़राब हो जाता है, उल्टियां और मितली आने लगती है। वहीं व्यक्ति काफी बुरा फील करता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका जैसे विकसित देश में भी हर साल 6 में से एक व्यक्ति फूड पॉइजनिंग की समस्या से ग्रस्त हो जाता है। इसमें शरीर में हानिकारक बैक्टीरिया बड़ी तेजी से फैल जाते है।
विशेषज्ञ क्या कहते हैं?
डॉ. टीना ज़ेड वांग के मुताबिक, ” जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता स्ट्रांग नहीं होती है, उन लोगों पर फूड पॉइजनिंग का खतरा अधिक रहता है। ऐसे लोग दूषित खाना खाने से गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल बीमारी घिर जाते हैं। वहीं, जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर होती है, उन लोगों पर इसका प्रभाव कम पड़ता है। उन्होंने बताया कि फूड पॉइजनिंग की समस्या से बचने के लिए खुद को सचेत रखना बेहद जरूरी है। इसके लिए खाना बनाने से पहले हाथों को अच्छी तरह से साफ कर लेना चाहिए।
फूड पॉइजनिंग के प्रमुख कारण
यह बैक्टीरिया जनित रोग है जो ई. कोली, कैम्पिलोबैक्टर,साल्मोनेला, लिस्टेरिया नामक बैक्टीरिया के कारण फैल सकती है। कभी कभी यह बीमारी नोरोवायरस के कारण भी हो जाती है। वहीं, कभी कुछ परजीवियों के कारण भी फूड पॉइजनिंग की समस्या आ सकती है। यह प्रॉब्लम संदूषण भोजन से आती है। जैसे कच्चे मांस के सलाद के संपर्क में आने से इस तरह के बैक्टीरिया और वायरस खाने में चले जाते है। इस समस्या से बचने के लिए साफ सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
फूड पॉइजनिंग के प्रमुख लक्षण
थकान
पेट में दर्द
दस्त
ऐंठन
उल्टी करना
जी मिचलाना
बुखार
चक्कर
फूड पॉइजनिंग के खतरे
आमतौर पर अधिकांश लोगों में यह बीमारी अपने आप ठीक हो जाती है। लेकिन कुछ लोगों को फूड पॉइजनिंग की समस्या के बाद मेडिकल हेल्प लेना पड़ती है। कई बार मामला गंभीर होने पर इंसान की मौत भी सकती है। जिन लोगों की उम्र 65 साल से अधिक है, जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम है, 5 साल से कम उम्र के बच्चे और गर्भवती महिलाओं में इसका प्रभाव अधिक होता है।
फूड पॉइजनिंग का उपचार
आमतौर पर फूड पॉइजनिंग की समस्या एक दिन से 7 दिनों तक रह सकती है। यह समस्या होने पर इलेक्ट्रोलाइट्स के साथ पानी का सेवन करें और ज्यादा से ज्यादा आराम करना चाहिए। ज्यादा उल्टी और दस्त होने पर डॉक्टर की मदद लें। खाने में हल्का भोजन जैसे केले, टोस्ट और चावल का सेवन करना चाहिए। इस दौरान फैट युक्त भोजन, मिठाई, मसालेदार चीजें, नमकीन के सेवन से बचना चाहिए।
इन परिस्थितियों में डॉक्टर को दिखाएं
अत्यधिक समस्या होने पर खुद को नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए और तुरंत मेडिकल सहायता लेनी चाहिए। इन परिस्थितियों में डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
पेट में बहुत तेज दर्द
लगातार बुखार रहना
खून युक्त मल
उल्टी में खून आना
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फूड पॉइजनिंग से कैसे बचें?
इससे बचने के लिए कच्चे मांस को साफ करने के बाद हाथ अच्छी तरह से धोना चाहिए।
सब्जियों और फलों को पोल्ट्री प्रोडक्ट और मीट, चिकन और मछली से दूर रखें।
भोजन को अच्छी तरह से पकाएं।
ज्यादा समय के भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए।